रायपुर: 2021 का एक वर्ष बीत गया.. कैसे गुजरा पता ही नहीं चला.. पूरा साल जैसे कोरोना के आतंक से लड़ता झूझता रहा. क्या अमीर, क्या गरीब, क्या नेता, क्या अभिनेता, क्या किसान, क्या मजदूर सब इसके चपेट में आते भी रहे, निकलते भी रहे.. इस वर्ष हमारे देश ने जनमानस पर राज कर रहे बड़े-बड़े लोगों को खोया. बहुत आतंकित होकर भी आखिर हमने 2021 का सामना कर ही लिया… जाते-जाते भीबी यह एक ऐसा जख्म दे गया जिससे भारतीय सदियों तक यादकर दुखी होंगे. जी हां देश के प्रथम CDS विपिन रावत का जख्म उनकी पत्नि व उनके सहकर्मी सेनानियों का दुःख जो 2021 के अब तक के सारे
घटनाओं पर भारी पड़ गया.
अब ओमीक्रॉन के आहट ने लोगों के कान खड़े कर दिए हैं. देश और जनता निरंतर आतंरिक संघर्षों, बाह्य आक्रमणों के साथ -साथ कोरोना की विकरालता से भी जूझ रहा है, पर भारत तो जैसे सेनानियों का स्थल है, यहां घर की गृहणियां, निम्न मध्यम-उच्च वर्गीय कर्मी, मजदूर, किसान, व्यापारी सब युद्धस्तर पर जूझकर हर परिस्थितियों से टकराने को सतत प्रयासरत रहते हैं. यह भावना इनकी स्वयं जीवनयापन के लिए तो है ही साथ ही देश के प्रति समर्पण की भी मिसाल है.
खैर जो भी हो 2022 एक नई उम्मीद की किरण लेकर आ रही है कि आगे सब कुछ अच्छा होगा… कुछ खोया..कुछ पाया.. तो प्रकृति का नियम ही है…
इसके साथ 2022 की नववर्ष की आप सभी पाठकगण, सहकर्मियों व देशवासियों को ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ.
निहारिका श्रीवास्तव
संपादक