BY: RAVI BHUTDA
बालोद: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों को समूह से ईएमआई जमा कराना मुश्किल हो गया हैं। समूह द्वारा ईएमआई जमा नही करने पर माइक्रो फाइनेंस के कर्मचारी समूह की मीटिंग लेकर समूह की सदस्यों को फटकार लगा रहे है। साथ ही 10 प्रतिशत अधिक ब्याज की वसूली करने दबाव बनाते हुए ईएमआई जमा करने डरा धमका रहे है। जिले में 20 से अधिक माइक्रो फाइनेंस कम्पनियां वर्तमान में संचालित है। जो शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को समूह के माध्यम से लोन देते है। जिसकी किश्त समूह की लोन धारक सप्ताह, अथवा 15 दिन या महीने में जमा कराते हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण काल के चलते केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन का निर्णय लेने के बाद माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों ने कोरोना काल को देखते हुए मध्यम व नीचे वर्ग के लोगो की आर्थिक स्थिति खराब न हो इस बात को मद्देनजर तीन माह तक समूह में जुड़ कर लोन लेने वाले समूह के सदस्यों को किश्त नही पटाने का छूट जरूर मिला था। लेकिन जिले में लगातार मिल रहे कोरोना संक्रमित मरीजो के चलते कही अनलॉक तो कही लॉकडाउन का स्थिति बनी हुई है।जिसके चलते गरीब वर्गीय परिवार व रोजी मजदूरी कर के अपना परिवार चलाने वाले लोग सिर्फ परिवार का ही खर्च उठा पा रहे है। ऐसे में उनके पास अन्य कोई आवक का साधन नही बन पा रहा है। जिससे वे वर्तमान में ईएमआई जमा कर सके। बावजूद माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारी समूह के लोगो को किश्त जमा करने डरा धमका रहे हैं।
कम्पनियों के कर्मचारी समूह पर बना रहे दबाव:
लॉकडाउन से पहले जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं समूह से जुड़ कर माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों से 20 से 50 हजार तक का लोन निकाली है। जिसका किश्त कम्पनियों के समयानुसार जमा करते है। लेकिन लॉकडाउन के कारण समूह से जुड़ी महिलाएं ईएमआई जमा करने में असमर्थ है। लेकिन इस हालात में भी माइक्रो फाइनेंस कम्पनियां समूह की महिलाओं के घरों में जाकर मीटिंग करके उनसे किश्त जमा कराने का दबाव बना रहे है। वही समय पर जमा नही करने पर लेट फीस तथा 10 प्रतिशत का ब्याज दर ज्यादा लेने की बात कम्पनियों के कर्मचारियों के द्वारा कहा जा रहा है। जिसके चलते कम्पनियों से लोन लेने वाले समहू के सदस्यों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। समूह वालो का कहना है कि इस हालात में हमें अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। तो क़िस्त कहा से पटाएँगे। कोरोना संक्रमण काल के पहले और जब लॉक डाउन नही था तो किश्त बराबर जमा हो जाती थी। क्योकि कामधंधा बराबर चलता था। जो कि अब नही चल रहा हैं। रोजी मजदूरी निरन्तर चलेगी। तब जाकर घर चलाने के साथ-साथ लोन का किश्त भी जमा कर सकेंगे। एक समूह की महिला ने बताया कि वे एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी से 20 हजार लोन ली है। जिसकी सप्ताह में किश्त 423 रुपये होती है। फाइनेंस कंपनी के युवक व युवती कर्मचारी द्वारा उन्हें पैसा/किश्त पटाने लगातार दबाव बनाया जा रहा हैं।