By: रवि भूतड़ा
बालोद: छत्तीसगढ़ में कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में बालोद जिले ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के शुरू होने के दो सालों में ही कुपोषित बच्चों की संख्या में 3 फीसदी की कमी देखी गई है। प्रदेश में बालोद जिले की स्तिथि काफी अच्छी हैं। और यह सब संभव हो पाया है, कलेक्टर जनमेजय महोबे के मार्गदर्शन और महिला बाल विकास विभाग के सतत प्रयास से। कुपोषण दूर करने में नौनिहालों को दिए जाने वाले गर्म भोजन और मुनगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिले में कुपोषण की दर 16 फीसदी से घटकर 13 फीसदी तक आ गई हैं।
आपको बता दे कि जिले में 1 हजार 523 आंगनबाड़ी संचालित हैं। जहां 57 हजार 564 बच्चे, 5 हजार 190 शिशुवती महिला एवं 6 हजार 150 गर्भवती महिला लाभान्वित हो रहे हैं। वही वर्तमान में 7 हजार 360 मध्यम कुपोषित एवं 932 गंभीर कुपोषित बच्चो की संख्या है। उल्लेखनीय हो कि राज्य में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरुआत की। राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 फीसदी बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे। इन आंकड़ों को देखें तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे। राज्य सरकार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की। अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन समुदाय का भी सहयोग लिया गया।
बच्चों को दिए जा रहे है ये स्वादिष्ट आहार:
अतिरिक्त पोषण आहार में गर्म भोजन के साथ अंडा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार दिये जा रहे हैं। इससे बच्चों में खाने के प्रति रूचि जागृत हुई है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों और पौष्टिक चीजों के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है। इससे पोषण स्तर में सुधार आना शुरू हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जाती है। जिले को कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास लगातार किये जा रहे हैं।
कोरोना काल में भी बच्चों और महिलाओं को मिला पोषक आहार:
कोरोना वायरस संकट के समय में सभी आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद होने के बावजूद भी बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के माध्यम से जिले के 1 हजार 523 आंगनबाड़ी केंद्रों के लगभग 68 हजार 904 नौनिहालों, गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया गया। पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट भोजन का वितरण किया जा रहा है। कुपोषण पर मिल रही विजय को बनाए रखने और कोरोना का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर न हो इसे देखते हुए प्रदेश में संक्रमण मुक्त स्थानों पर जनप्रतिनिधियों और पालकों की सहमति से आंगनबाड़ी को खोला गया है। जहां सुरक्षा के प्रबंध के साथ फिर से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन देने की व्यवस्था की गई।
प्रदेश में बालोद जिले की स्थिति काफी अच्छी- महोबे
कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि बालोद जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण लगभग दो वर्ष पहले प्रारम्भ हुआ था। उसके बाद से यहाँ पे काफी अच्छा काम हुआ है। शुरुआत में यहाँ पर ड्राई राशन दिया गया था। उसके पहले गरम भोजन की भी प्रक्रिया चल रही थी। हमने तीन तरह के हितग्राही चिन्हांकित किये हुए हैं। ऐसी बालिकाएं जिनका एनीमिया का परसेंटेज काफी बढ़ा हुआ है या फिर 15 से 49 साल की महिलाएं जो की एनीमिक हैं। इसके अतिरिक्त हमारी शिशुवती महिलाएं जिन्हे रेडी टू ईट मिलता है। उनको भी हमने चिन्हांकित किया है, गरम भोजन के लिए। इसी तरह जो गर्भवती महिलाएं हैं। उनको उनके डाइट चार्ट के मुताबिक डाइट दिया जा रहा है। श्री महोबे ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में वर्तमान में कुछ अतिरिक्त हितग्राहियो को गरम भोजन दे रहें हैं और दो वर्ष की उपलब्धि में देखेंगे तो लगभग 3 प्रतिशत के आसपास कुपोषण की दर में कमी आई है। प्रदेश में बालोद जिले की स्थिति काफी अच्छी है। लगातार इसमें काम चल रहा है। जब कोविड का समय था तो उस समय भी हमने टिफिन के माध्यम से बच्चों को गरम भोजन दिया था। तो इसमें विभाग के द्वारा सतत कार्यवाही की जा रही है और कुपोषण की दर कम हुई है। श्री महोबे ने आगे बताया कि डौंडी और डौंडीलोहारा ब्लॉक में जो रिमोट एरिया है। वहां पर कुछ ऐसी चीजें भी जैसे बीच में शासन और राज्य शासन का आदेश था, की जो लोग नॉन वेजिटेरियन भोजन का उपयोग करते हैं। उन्हें अंडा दिया जायेगा। उसमे भी निर्णय लिया जायेगा। उसके अतिरिक्त मिलेट से बने उत्पाद यदि डौण्डी ब्लॉक में अगर कोई प्रोसेसिंग यूनिट लगती है और मिलेट से बने उत्पाद निर्माण करते हैं। जैसे चिकी के रूप में तो उसपे भी काम किया जायेगा। पहले भी यहाँ पर बच्चों को पौष्टिक चिकी दिया जाता था। तो उसपे भी काम करेंगे। ताकि बच्चों को एक अतिरिक्त पौष्टिक आहार के रूप में प्रदान किया जा सकें और कुपोषण की दर में कमी हो सके।