By: सुनील यादव
गरियाबंद: जिले के मैनपुर विकासखण्ड में फर्जी तरीके से शासन को गुमराह कर फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी कर रहे थोक के भाव में शिक्षाकर्मियों पर कार्यवाही करने की मांग ने फिर से तुल पकड़ लिया है ।
आपको बता दें कि वर्ष 2005/ 2007 में हुए शिक्षाकर्मी भर्ती कि जांच व कार्यवाही की मांग लगातार सामान्य सभा की बैठक में उठाया जा रहा है साथ ही समय समय पर मीडिया के माध्यम से प्रमुखता से इसे प्रकाशन भी किया जाता रहा है किंतु प्रशासन की चुप्पी पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ के आदेशानुसार शिक्षाकर्मियों के दस्तावेज खंगाले गए थे जिनमे कई प्रमाण पत्र सर्टिफिकेट फर्जी पाए जाने की बात सामने आई थी । जिसको लेकर पार्टी प्रतिनिधि एवं जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा लगातार एफआईआर दर्ज करने संबंधित अधिकारी कर्मचारियों के प्रति कार्यवाही करने लगातार मांग की जाती रही है किंतु कार्यवाही नहीं ?
उलेखनीय है कि वर्ष 2005 / 2007 में मैनपुर विकासखण्ड में थोक के भाव मे शिक्षाकर्मियो की भर्ती हुई थी जिसमे बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज लगाकर अपात्र लोगों ने नौकरी हासिल कर ली थी। मामले की शिकायत के बाद मैनपुर जनपद पंचायत में हुए शिक्षाकर्मी भर्ती की जांच हुई थी, जिसमे जांच दल ने अपने जांच में 232 शिक्षाकर्मियो को अपात्र कर दिया था। जांच उपरांत 232 शिक्षाकर्मियो में 103 शिक्षाकर्मियो पर ही कार्यवाही की गई है ।जबकि 129 शिक्षाकर्मी प्रशासन के रहमो करम से आज भी शिक्षाकर्मी की नौकरी कर रहे हैं ।
ऐसे में यह कहना लाज़मी है कि प्रशासन या तो 129 शिक्षाकर्मियो पर तत्काल कार्यवाही करें या फिर 102 शिक्षाकर्मी जिन्हें निकाला गया है उसे फिर से नौकरी में रखा जाए क्योंकि कानून सबके लिए एक है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार प्रशासन इतने बड़े मामले मे मौन क्यों है ।
क्या कहीं कोई दबाव बना हुआ है जिसके चलते अधिकारी स्वयं निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं या इन शिक्षाकर्मियों की संख्या अधिक होने के कारण वर्तमान राज्य सरकार द्वारा अनदेखा किया जा रहा है।

इस विषय मे चर्चा के दौरान जिला पंचायत सीईओ संदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि कार्यवाही का अधिकार जनपद सीईओ का है जिला पंचायत की ओर से कार्यवाही के लिए हमने मैनपुर जनपद सीईओ को पत्र भेज दिए हैं ।