हिन्दी पद्यानुवादक: प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
मो ९४२५४८४४५२
तत्रैकाग्रं मनः कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रियः ।
उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये ॥
उस आसन पर बैठकर मन को कर एकाग्र
आत्म शुद्धि के भाव से ध्यान करे अनिवार्य।।12।।
भावार्थ : उस आसन पर बैठकर चित्त और इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में रखते हुए मन को एकाग्र करके अन्तःकरण की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास करे॥12॥
- There, having made the mind one-pointed, with the actions of the mind and the senses
controlled, let him, seated on the seat, practise Yoga for the purification of the self.